हाय दोस्तो! मेरी ये कहानी गाँव की है। मेरे लंड का साइज़ 7 इंच है… मुझे आंटी और भाभियों में बड़ी दिलचस्पी है। ये कहानी मेरे और मेरे एक दोस्त की माँ के बीच की है..मैं उन्हें आंटी ही बुलाता था..
मैं जब भी मेरे दोस्त के घर जाता तो आंटी हमारा मुस्कुराकर स्वागत करती। उनके बड़े स्तन और बड़ी गांड को देखकर दिल में अजीब हलचल मच जाती है।
उनका नाम रश्मि है.. उम्र 40 साल ऊंचाई 4 फीट 10 इंच, साइज 38 28 38 और रंग सांवला है… जब से मैंने अपने सोनिया भाभी के साथ सेक्स करना चालू किया था तब से आंटी की तरफ देखने का मेरा नजरिया बदल गया।
अब जब भी उनके घर जाता तो उनके स्तन और गांड को निहारता रहता… आंटी को भी ये बात ध्यान में आने लगी थी.. पर वो मुझसे कुछ नहीं कहती थी।
एक दिन मैं पास के शहर में बस से जा रहा था, उसी बस में आंटी भी थी। बस में बहुत भिड़ थी. मै काफ़ी पीछे खड़ा था क्योंकि बैठने के लिए जगह नहीं थी।
आंटी ने एक बूढ़ी औरत को अपनी सीट देकर वो खड़ी हो गई, आंटी ने मुझे अपने पास बुलाया।
मैंने मौका देखकर उनके पास पीछे आकर खड़ा हो गया.. लेकिन बस मे भिड होने की वजह से मैं उनसे काफी चिपक गया था, मुझे उनके शरीर की गंध आने लगी।
इसका मेरा लंड खड़ा हो गया और उनकी गांड को छूने लगा। अचानक ब्रेक लगने से मेरा लंड उनकी गांड के अंदर घुस गया.. उनके मुंह से सिसकी निकल गई लेकिन भिड़ के कारण किसी को सुनाई नहीं पड़ी।
मैंने अपना लंड वहां से ना हटाते हुए वैसे ही खड़ा रहा..बस मैं और भिड बढ़ गई..जिससे आंटीजी मुझसे और चिपक गईं… बस चलने के कारण मेरा लंड आगे पीछे हो रहा था।
गांड में लंड घिसने से मुझे बड़ा आनंद आ रहा था.. लग रहा था कि आंटी को भी ये अच्छा लग रहा था।
वो कुछ बोल नहीं रही थी और ना आगे को जा रही थी… मेरा हौसला बढ़ा, और मैंने अपना हाथ आगे उनके जंघों पे रख कर फेरने लगा और पीछे लंड से धीमे धक्के मारने लगा।
थोरी देर बाद मै पैंट में ही झड़ गया.. इससे मैं शांत हो गया…पर मैं चौंक गया क्योंकि अब आंटीजी गांड को मेरे सोये लंड पर रगड़ रही थी। कुछ देर में लंड फिर से खड़ा हुआ..पर इतने में हमारा स्टॉप आ चुका था, हम दोनों वहां उतर गए।
मै उन्हें नज़र नहीं मिला पाया, वो मुझे बाय करके अपने काम के लिए चली गई और मैं अपने काम के लिए। कुछ दिनों तक कुछ नहीं हुआ और मैं भी उनके घर नहीं गया। लेकिन दोस्त ने एक दिन मुझे जबरन अपने घर ले गया।
आंटी ने दरवाजा खोला उनको देखा तो लाइट पर्पल साड़ी में वो कयामत लग रही थी.. हम बैठ गए और आंटी पानी लेन अंदर जाने लगी… उनके हिलते कुल्हे (गांड) देखकर मेरा लंड खड़ा होने लगा।
पानी देते वक्त उनके बड़े स्तन के दर्शन हो गए क्योंकि ब्लाउज छोटा था और स्तन बड़े।
थोरी देर बाद मेरा दोस्त कुछ जरूरी काम से खेत चला गया…घर में मै और आंटी ही थे…मै इस मौके का फायदा उठाना चाहता था।
मैं अंदर चला गया और देखा तो आंटीजी झाड़ू लगा रही थी…उनकी गांड मेरी तरफ थी मुझे गांड बहुत अच्छी लगी मेरा लंड खड़ा हुआ।
मै ये नजारा देखता है रह गया…मुझसे अब कंट्रोल नहीं हुआ और मैंने आगे बढ़ कर पीछे से उन्हे पकड़ लिया और अपना लंड साड़ी के ऊपर से ही गांड के सुरख में सटा दिया।
आंटीजी घबरा कर चिल्लायी पर मैंने झटसे अपना हाथ उनके मुंह पर रख दिया…
उन्हें समझ में आया कि मैंने उन्हें पकड़ा है इस वजह से वो चिल्लाना बंद करके मेरे तरफ देखकर मुझे कहने लगी कि “तुम ये क्या कर रहे हो?”
मैंने कहा “आंटीजी आप मुझे बहुत अच्छी लगती हैं” फिर मैंने देर ना लगाते हुए उनसे लिप लॉक किया ताकि वो और कुछ ना बोले।
वो भी मुझे विरोध ना करते हुए मेरा साथ देने लगी.. मैंने एक हाथ चूतड पे और एक को स्तन पर रखके दबाने लगा.. उनके मुलायम, मक्खन जैसे स्तन और चूतड दबते हुए मुझे बड़ा मजा आ रहा था…दस मिनट के बाद हम अलग हुए…
फिर मैंने आंटी को अपनी तरफ खींचते हुए उनका ब्लाउज उतार दिया, बूब्स को मैंने मुंह में लिया और जोर से चूसने लगा.. आआआह्ह्ह्ह……..उउउइइइइइ……उउउन्नन्नन्न…की आवाज कमरे में गूंजने लगी।
चूस चूस के स्तनों को लाल कर दिया… फिर साड़ी को उतार के पेटोकोट का भी नाडा खोल दिया, उनको कुछ नहीं पहना हुआ था तो आंटी की चूत मेरे सामने आ गई.. मैं तो ख़ुशी से पागल हो गया!
मैंने अपना हाथ चूत पे रखा तो ऐसा लगा कि किसी ने आग में हाथ डाला हो। मैंने चूत को ध्यान से देखा और मैं नीचे बैठ गया, फिर उसकी चुत को अपने जीभ से लगा के चुसने लगा।
वो सिसकारियाँ भरने लगी…उउउउउउइइइइइइइ…….म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्…….सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स….अब जोर से चटने लगा तो सिसकारियाँ भी बढ़ने लगी….मेरे सर को पकड़ने के चूत पर दबाने लगी।
मैंने चाटने की स्पीड बढ़ा दी और वो एकदुम से अकद के मेरे मुँह पे जड़ गई..मैंने उनका सारा पानी पी लिया।
फिर मेरा लंड उनके मुंह में लेने को कहा तो वह मना करने लगी…किंतु मैं कहा मानने वाला था, उन्हें आला बिठाकर जबर्दस्ती मुंह खोलकर मेरा लंड डाल दिया तो वो धीरे-धीरे लंड चूसने लगी।
मैं तो जैसे हवा में उड़ रहा था उनके मुलायम हॉट मेरे लंड पर घूम रहे थे…मानो मुझे स्वर्ग मिल गया।
10 मिनट तक चुसने के बाद मेरी छुटने वाला था तो मैंने उनका सर जोर से पकड़ के अपना लंड मुंह में ही अंदर बाहर करने लगा..एकदम से मैं उनके मुंह में फंस गया।
मानो मेरी पिचकारी उनके गले के अंदर गई हो..फिर उन्हें मेरा सारा पानी पी लिया और मेरे लंड को साफ कर दिया। मैंने खड़े होते हुए उसे लंबा किस किया।
मेरे वीर्य की बूंदे उनके मुंह में थी तो मुझसे वो किस अच्छा लग रहा था.. फिर उसने मेरे सोए लंड जगाने के लिए अपने मुलायम हाथ से उसे हिलाने लगी और लंड मुंह में लेके चुसाने लगी…मेरा लंड तन कर फिर से खड़ा हो गया।
तो आंटी ने कहा आजा मेरे राजा अब जल्दी से मुझे चोदो…मैंने भी झटसे उनको दीवार से सटा के मेरी तरफ गांड कर दी, तो उनके गांड को देखकर मुझे लगा कि मै अब गांड ही मारूंगा।
किंतु मैंने जैसा लंड गांड पे लगाया तो उन्हें कहा नहीं मनीष तुम पहले मेरी चूत की प्यास बुझा दो, फिर बाद में तुम्हें जो करना है कर लेना..
अब मैंने इरादा बदलते हुए लंड को चुत पे सेट किया और जॉर्डर ज़त्का मारा से पुरा का पुरा लंड उनके चुत को फाड़ता हुआ अंदर समा गया।
साथ ही मै बूब्स भी दाबा रहा था.. वैसे तो मै चूत चोद रहा था पर पीछे की तरफ से चोदने के कारण गांड मारने जैसा अनुभव हो रहा था।
10 मिनट के बाद मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी..और जोर से चोदने लग गया… 20 मिनट में चोदने के बाद मैं झड़ने वाला था तो उन्होंने कहा चुत में ही झड़ जाओ!
फिर मैंने स्पीड और बढ़ा दी और मै चुत में ही झड़ गया और उनके ऊपर ही पड़ा रहा… फिर हम आधे घंटे तक जमीन पर ही सो गए।
आधे घंटे के बाद जब मैं जगा तो वो सो रही थी और मेरी तरफ गांड थी, तो गांड को देखकर मैं बेचैन होने लगा। फिर मैंने आंटी को उठाया और अपना लंड उनको मुँह में दे दिया।
इस बार वो बड़े प्यार से लंड चूस रही थी, उन्होंने लंड को चूस-चूस के एकदम टाइट कर दिया.. अब मैंने देर ना लगाते हुए आंटी को पलट दिया और गांड को अपनी तरफ खींचा..
एक उंगली को गांड में ढकेला फिर दो उंगली डाली और अंदर बाहर करने लगी… वो सिसकारियां भरने लगी।
कुछ देर बाद मैंने अपने लंड पर ढेर सारी थूक लगाई और लंड को गांड पे सेट करके एक शॉट मारा तो आधा लंड गांड में चला गया… और एक शॉट के साथ पूरा लंड गांड में समा गया गया।
आंटी जी धीरे से चिल्लाने लगी पर अब मैंने रोका नहीं और उन्हें चोदने लगा…जांघों को अपने दोनों हाथों में लेके गांड को जोर से चोदने लगा।
5 मिनट चोदने के बाद मैंने उनकी गांड में ही अपना सारा पानी छोड़ कर के उनके ऊपर ही सो गया।
मै तो जैसी जन्नत में सैर कर रहा था..उनके ऊपर सोते हुए भी बड़ा आनंद हुआ। इसी हालत में हाय हम ना जाने कितने समय के लिए सो गए।
जब दरवाजा अचानक खुला तो क्या हुआ ये मैं अगली कहानी बताऊंगा.