• Home
  • Aunty Sex Story
  • होटल की मालकिन आंटी ने चुदवाया xxx hotel aunty sex
Image

होटल की मालकिन आंटी ने चुदवाया xxx hotel aunty sex

मेरा नाम रजत है। मैं जयपुर का रहने वाला हूँ। ये कहानी उस वक्त की है जब मैं दिल्ली में काम की तलाश में गया था। वहाँ मुझे एक होटल में नौकरी मिल गई। ये नौकरी मुझे इसलिए मिली क्योंकि होटल के मालिक का बेटा समीर मेरे दोस्त का दोस्त था। समीर से मेरी अच्छी दोस्ती हो गई थी। वो मुझे अपने परिवार का हिस्सा मानता था। उसने मुझे अपने होटल में काम पर रख लिया। समीर के पापा, जिन्हें मैं अंकल कहता था, होटल में खाना बनाते थे। उन्होंने होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई की थी, इसलिए उनकी खाना बनाने की कला लाजवाब थी। समीर की माँ, जिन्हें मैं आंटी बुलाता था, भी होटल में मदद करती थीं। आंटी की उम्र करीब ४५ साल थी, लेकिन वो देखने में 30-32 की लगती थीं। उनकी शादी कम उम्र में हो गई थी, और समीर के बाद उनका कोई दूसरा बच्चा नहीं था। शायद इसलिए उनकी फिगर अभी भी इतनी टाइट और जवां थी।

समय के साथ मैंने होटल का सारा काम सीख लिया। यहाँ तक कि मैं खाना भी बनाना सीख गया। समीर के पापा ने मुझे सब कुछ सिखाया, और मैं उनका बहुत शुक्रगुज़ार हूँ। धीरे-धीरे मैं अकेले ही होटल की किचन संभालने लगा। उसी दौरान समीर के पापा ने बैंगलोर में दूसरा होटल खोलने का फैसला किया। इसके लिए उनका बैंगलोर आना-जाना शुरू हो गया। समीर भी हैदराबाद चला गया कंप्यूटर कोर्स करने। अब किचन में ज्यादातर मैं और आंटी ही रहते थे। आंटी के साथ मेरा रिश्ता बहुत अच्छा हो गया था। वो मुझे अपने बेटे की तरह मानती थीं, और मैं भी होटल को अपने घर की तरह संभालता था। समीर के पापा भी मेरे काम से बहुत खुश थे।

एक दिन आंटी होटल में टॉप और जींस पहनकर आईं। उनका टॉप इतना टाइट था कि उनकी चूचियाँ बिल्कुल उभरी हुई दिख रही थीं। उनकी गांड भी जींस में गोल और भारी लग रही थी। मैं उनकी तरफ देखता ही रह गया। जब वो कुछ सामान उठाने के लिए झुकीं, तो उनकी चूचियाँ साफ दिख गईं। दोनों चूचियाँ एक-दूसरे से सटी हुई थीं, और बीच में सिर्फ एक पतली-सी लकीर दिख रही थी। मेरा मन डोलने लगा। मैंने पहले कभी आंटी को इस नज़र से नहीं देखा था, लेकिन उनकी सेक्सी ड्रेस ने मेरे दिमाग में आग लगा दी। रात को करीब 12 बजे होटल बंद करने के बाद आंटी मुझे अपनी गाड़ी से ड्रॉप करने गईं और फिर अपने घर चली गईं।

अगले दिन आंटी फिर से एक सेक्सी पिंक टॉप और कैप्री पहनकर आईं। उनका टॉप इतना टाइट था कि उनकी चूचियाँ और निप्पल्स का शेप साफ दिख रहा था। पीछे से उनकी गांड इतनी उभरी हुई थी कि हर कदम पर मटक रही थी। उस दिन होटल में बहुत भीड़ थी। किचन में काम की वजह से हम दोनों बार-बार एक-दूसरे के पास से गुजर रहे थे। दो-तीन बार ऐसा हुआ कि आंटी गिरते-गिरते मुझसे टकरा गईं। उनकी चूचियाँ मेरे हाथों से दब गईं। एक बार तो वो मेरे पीठ से अपनी चूचियाँ रगड़ते हुए निकलीं। शायद ये सब अनजाने में हो रहा था, क्योंकि काम बहुत ज्यादा था। लेकिन मेरा लंड बार-बार खड़ा हो रहा था। उसकी हरकतें मेरे बदन में सनसनी पैदा कर रही थीं। xxx hotel aunty sex

दोपहर में जब काम थोड़ा कम हुआ, तो आंटी मेरे पास बैठ गईं। उन्होंने मुझसे पूछा, “रजत, तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?” मैं शरमा गया और बोला, “नहीं आंटी, गर्लफ्रेंड बनाने का टाइम कहाँ? मैं तो दिन-रात होटल में ही रहता हूँ।” आंटी हंसते हुए बोलीं, “अच्छा, तो किसी के शरीर को निहारने का टाइम मिल जाता है?” मैं समझ गया कि आंटी ने मेरी चोरी पकड़ ली थी। मैं उनकी चूचियों और गांड को घूर रहा था, और शायद वो ये बात भाँप गई थीं। मैंने कहा, “नहीं आंटी, ऐसी बात नहीं है। अगर कोई गर्लफ्रेंड होगी, तो आपको जरूर बताऊँगा।” आंटी मुस्कुराईं और बोलीं, “अच्छा, अगर कोई पसंद आए तो मुझे बता देना। मैं तुम्हारी दोस्ती करवा दूँगी।”

शाम को फिर से किचन में भीड़ बढ़ गई। मैं बहुत थक गया था। आंटी ने देखा कि मैं हाँफ रहा हूँ। वो किचन से बाहर गईं और मेरे लिए एक पेग व्हिस्की बना लाईं। बोलीं, “ले, ये पी ले। थकान उतर जाएगी।” मैंने बिना कुछ सोचे पेग पी लिया और फिर से काम में जुट गया। दो घंटे बाद, जब रात के 11 बज गए, आंटी फिर एक पेग लेकर आईं। मैंने वो भी पी लिया। शराब की वजह से मेरी थकान तो चली गई, लेकिन नशा सिर चढ़ने लगा।

रात को होटल बंद करने के बाद आंटी बोलीं, “रजत, आज तू बहुत थक गया है। चल, मेरे साथ घर चल। आज मैं तुझे घर का खाना खिलाती हूँ।” मैंने हाँ कर दी। आंटी का अपार्टमेंट होटल से थोड़ी ही दूरी पर था। हम वहाँ पहुँचे। आंटी ने मुझे कोल्ड ड्रिंक दी और खुद बाथरूम में चली गईं। जब वो बाहर आईं, तो मैं उन्हें देखकर दंग रह गया। वो एक पारदर्शी नाइटी में थीं। उनकी गोल-गोल चूचियाँ साफ दिख रही थीं। नाइटी इतनी पतली थी कि उनके निप्पल्स का शेप भी उभर रहा था। उनके डियोड्रेंट की खुशबू पूरे कमरे में फैल रही थी। मैं तो बस उन्हें देखता ही रह गया।

आंटी बोलीं, “रजत, ये तौलिया ले। नहा ले, तब तक मैं खाना तैयार करती हूँ।” मैं बाथरूम में गया। वहाँ हल्की लाइट थी और एक मादक खुशबू फैली हुई थी। मैंने देखा कि आंटी की गीली ब्रा और पैंटी टँगी हुई थीं। मैंने उनकी ब्रा और पैंटी को सूँघा। उनकी खुशबू ने मुझे और मदहोश कर दिया। मैंने सोचा, इस कपड़े के पीछे कितना मस्त माल होगा। फिर मैंने ब्रा-पैंटी वापस टाँग दी और नहाकर बाहर आ गया।

जब मैं बाहर आया, तो आंटी सोफे पर बैठी थीं। उनके हाथ में व्हिस्की का गिलास था। मेरे लिए भी एक गिलास रखा था। आंटी ने चियर्स कहा, और हमने साथ में व्हिस्की पी। मेरा गिलास थोड़ा स्ट्रॉन्ग था। फिर दूसरा पेग भी लिया। इसके बाद हम खाने की टेबल पर गए। आंटी ने खाना परोसा, लेकिन मैंने ज्यादा नहीं खाया। जब मैं उठकर जाने लगा, तो नशे की वजह से लड़खड़ा गया। आंटी ने मुझे संभाला, और उसी वक्त मेरा हाथ उनकी चूचियों से टकरा गया। मैं गिरते-गिरते बचा। आंटी बोलीं, “रजत, तुझे बहुत नशा हो गया है। आज यहीं रुक जा। इतनी रात को घर जाना ठीक नहीं।” मेरा सिर घूम रहा था। मैंने हाँ कर दी।

आंटी मुझे पकड़कर बेडरूम में ले गईं। उन्होंने समीर का एक बरमूडा पैंट दिया और बोलीं, “इसे पहन ले।” लेकिन मैं नशे में इतना चक्कर खा रहा था कि पैंट नहीं पहन पाया। आंटी ने मेरी मदद की। उन्होंने मेरा जींस उतारा। उसी वक्त मेरा लंड उनके हाथ से छू गया। मेरा लंड, जो पहले से ही खड़ा था, और सख्त हो गया। आंटी ने मेरे जाँघिए से मेरा 7 इंच का लंड बाहर निकाला और बोलीं, “वाह, रजत! इतना बड़ा लंड! मैंने आज तक ऐसा नहीं देखा।” वो मेरे लंड को सहलाने लगीं। उनकी उंगलियाँ मेरे लंड के टॉप पर फिर रही थीं। मेरे बदन में सनसनी दौड़ रही थी। xxx hotel aunty sex

आंटी मेरे सीने पर चूमने लगीं। एक हाथ से वो मेरा लंड पकड़े थीं और दूसरे हाथ से मेरे बदन को सहला रही थीं। फिर वो नीचे झुकीं और मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया। वो उसे लॉलीपॉप की तरह चूस रही थीं। उनकी जीभ मेरे लंड के सुपारे पर गोल-गोल घूम रही थी। “आह्ह… आंटी… उह्ह…” मैं सिसकारियाँ ले रहा था। करीब 10 मिनट तक वो मेरे लंड को चूसती रहीं। फिर उन्होंने अपनी नाइटी उतारी। उनकी चूचियाँ बाहर आ गईं। 36C साइज की चूचियाँ, गोल और टाइट। उनके निप्पल्स गुलाबी और सख्त थे। आंटी ने अपनी एक चूची मेरे मुँह में डाल दी और बोलीं, “चूस ले, रजत। मेरी चूचियों को चूस।” मैं उनकी चूची चूसने लगा। “आह्ह… उह्ह… हाँ, ऐसे ही… और जोर से…” आंटी सिसकार रही थीं।

फिर आंटी मेरे सीने पर बैठ गईं। उन्होंने मेरा सिर पकड़ा और अपनी चूत पर सटा दिया। उनकी चूत गीली थी। मैंने अपनी जीभ उनकी चूत पर फिराई। उनका पानी निकल रहा था। मैंने उनकी चूत का नमकीन पानी चाटा। “आह्ह… रजत… मेरी चूत चाट… और चाट…” वो मेरे सिर को अपनी चूत में दबा रही थीं। उनकी चूत की खुशबू और स्वाद मुझे पागल कर रहा था। वो जोर-जोर से सिसकार रही थीं, “उह्ह… आह्ह… हाँ… ऐसे ही…” और फिर वो झड़ गईं। मैंने उनके चूत के पानी को पी लिया। आंटी ने मेरे होंठ चाटे और बोलीं, “रजत, तू तो कमाल है।” xxx hotel aunty sex

फिर आंटी नीचे लेट गईं। उन्होंने अपने पैर फैलाए और बोलीं, “आ मेरे राजा, आज अपनी इस जवान लंड से मेरी चूत की आग बुझा दे।” मैंने अपना लंड उनकी चूत के मुँह पर रखा। उनकी चूत गीली और गर्म थी। मैंने एक जोरदार धक्का मारा। मेरा पूरा लंड उनकी चूत में समा गया। “आउच… उह्ह… रजत… धीरे…” आंटी चीखीं। मैंने धक्के मारने शुरू किए। “चोद मुझे… रजत… मेरी चूत फाड़ दे… आह्ह… उह्ह…” आंटी चिल्ला रही थीं। उनकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी। “फच… फच…” धक्कों की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। मैं उनकी चूचियाँ दबा रहा था। उनके निप्पल्स को मसल रहा था। आंटी की सिसकारियाँ और तेज हो गईं, “आह्ह… हाँ… और जोर से… मेरी चूत रगड़… उह्ह…”

करीब 15 मिनट तक मैंने उन्हें चोदा। फिर मैं और आंटी एक साथ झड़ गए। मेरा गर्म माल उनकी चूत में गिरा। हम दोनों पसीने से भीग गए थे। बिना कपड़ों के हम एक-दूसरे से लिपटकर सो गए। करीब एक घंटे बाद मैं फिर से तैयार हो गया। इस बार आंटी मेरे ऊपर चढ़ गईं। उन्होंने मेरा लंड अपनी चूत में डाला और उछल-उछलकर चुदवाने लगीं। “आह्ह… रजत… तेरा लंड मेरी चूत को चीर रहा है… उह्ह…” वो जोर-जोर से उछल रही थीं। उनकी चूचियाँ हवा में लहरा रही थीं। मैं उनकी गांड पकड़कर उन्हें और जोर से चोद रहा था। “फच… फच…” की आवाज़ फिर से गूँज रही थी। xxx hotel aunty sex

रात में हमने चार बार चुदाई की। हर बार आंटी और मैं एक-दूसरे में खो गए। सुबह जब नींद खुली, तो नशा उतर चुका था। मुझे शर्मिंदगी महसूस हो रही थी। मैं आंटी से नज़र नहीं मिला पा रहा था। आंटी मेरे पास आईं और बोलीं, “रजत, जो हुआ सो हुआ। अब ये बात किसी को मत बताना। नहीं तो मेरी बदनामी होगी, और तुम्हारी नौकरी भी जा सकती है।” मैंने हाँ में सिर हिलाया। फिर आंटी मुस्कुराईं और बोलीं, “वैसे, अब हफ्ते में एक बार हम ऐसे ही रात बिताएँगे, जैसे पति-पत्नी।” मैं चुप रहा, लेकिन मेरे मन में एक अजीब-सी उत्तेजना थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top